डेंगू मरीजों की बड़ी समस्या बनी प्लेटलेट्स की किल्लत


वाराणसी (काशीवार्ता)। अभी तक डेंगू के 238 मरीज मिले हैं। 68 मरीजों में मलेरिया की पुष्टि की गई है। वहीं, अब तक 9200 मरीजों में वायरल और दूसरे तरह के बुखार रिपोर्ट किए गए हैं। अस्पतालों में डेंगू वार्डों के भरने के बाद प्लेटलेट्स की भी किल्लत आने लगी है। 2-2 दिन तक लोगों को प्लेटलेट्स के लिए इंतजार करना पड़ रहा है। लहुराबीर स्थित आईएमए ब्लड बैंक के बाहर लंबी-लंबी कतार लग जा रही है। बुधवार शाम तक यहां पर 170 यूनिट प्लेटलेट्स की वेटिंग थी। उधर, हर रोज बुखार से पीड़ित मरीजों की संख्या बढ़ती ही जा रही है। कुल 300 मरीज पैथालॉजी में टेस्ट कराने आ रहे हैं। कबीरचौरा स्थित मंडलीय अस्पताल में प्लेटलेट्स जांच की व्यवस्था बंद हो गई है। यहां रैंडम डोनर प्लेटलेट्स मशीन खराब पड़ी है। ओपीडी में आने वाले हर बुखार पीड़ितों को डॉक्टर प्लेटलेट्स की जांच लिख रहे हैं। मगर, जांच के लिए मरीजों को प्राइवेट लैब में भारी कीमत चुकानी पड़ रही है। पांडेयपुर स्थित पंडित दीनदयाल जिला अस्पताल में प्लेटलेट के लिए 60 वेटिंग रही। यहां रोज 15 यूनिट प्लेटलेट्स की खपत है। मंडलीय अस्पताल में 30 यूनिट प्लेटलेट की वेटिंग और रोज 12 बैग का इस्तेमाल हो रहा है। आईएमए ब्लड बैंक में रोज 55-60 यूनिट प्लेटलेट दिया जा रहा है। पंडित दीन दयाल जिला अस्पताल के चीफ मेडिकल सुप्रीटेंडेंट डॉ. आरके सिंह ने कहा कि डेंगू के मरीजों के लिए 200 से ज्यादा मच्छरदानी की व्यवस्था है। हमारे यहां रोज 1500-2000 मरीज आ रहे हैं जबकि यहां पर 200 बेड की व्यवस्था है। मरीजों की संख्या बढ़ती है तो जो बेहतर कंडीशन में है उन्हें घर भेज दिया जाता है।
प्लेटलेट दान रैली कल
वाराणसी। साधना फाउंडेशन द्वारा 4 नवंबर को प्लेटलेट दान जागरुकता महाअभियान रैली का आयोजन किया जा रहा है। यह रैली प्रात: 7 बजे शहीद उद्यान से मलदहिया चौराहा स्थित सरदार बल्लभ भाई पटेल की मूर्ति पर माल्यार्पण कर समाप्त होगी। रैली का उद्घाटन उत्तर प्रदेश सरकार में दर्जा प्राप्त राज्यमंत्री आरपी कुशवाहा के हाथों होगा।
शहर में चल रही एक अंधी दौड़ : सीएमओ
सीएमओ डॉ. संदीप चौधरी के अनुसार प्लेटलेट्स को लेकर शहर में एक अंधी दौड़ चल रही है। एलाइजा टेस्ट से पहले डेंगू की पुष्टि नहीं की जा सकती। साढ़े 9 हजार एलाइजा टेस्ट में केवल 238 लोग ही डेंगू पॉजिटिव पाए गए। बाकी सभी किसी वायरल फीवर से पीड़ित हैं। प्लेटलेट काउंट 10 हजार से नीचे है, तो भी कई सारे मानक हैं, जिनके बाद ही ट्रांसफ्यूजन कराया जाना चाहिए। हर अस्पताल के पास सरकारी और डब्ल्यूएचओ की गाइडलाइन है।