धनंजय सिंह के लिये वोटकटवा साबित होते हैं भाजपा व बसपा के प्रत्याशी


राजीव पाठक
जौनपुर। विधानसभा व जनपद ही नहीं वरन प्रदेश की राजनीति में खासा हस्तक्षेप रखने वाले धनंजय सिंह के राजनैतिक सितारे भले ही बीते 10 सालों से गर्दिश में चल रहे हो, किंतु चुनाव हो और धनंजय सिंह का नाम ना आए ऐसा संभव नहीं है। जिला पंचायत चुनाव में पूर्व सांसद की पत्नी श्रीकला धनंजय सिंह को मिली सफलता के बाद अब कयास लगाए जा रहे हैं कि अपने चिर प्रतिद्वंदी स्वर्गीय पारसनाथ यादव के अनुपस्थिति में इस बार धनंजय सिंह मल्हनी विधानसभा की सीट अपने कब्जे में लेकर सपा समेत भाजपा को भी संदेश देना चाहेंगे। हालांकि धनंजय के लिए यह राह इतनी आसान नहीं है क्योंकि भले ही उनके समर्थक उनकी जीत के दावे कर रहे हो किंतु यह भी सत्य है कि गठन के बाद से ही मल्हनी विधानसभा धनंजय सिंह व अन्य पार्टियों के लिए अभेद साबित हुई है क्योंकि इस सीट पर जहां भाजपा व बसपा के प्रत्याशी दोनों ही धनंजय सिंह के वोट काटने में लगते हैं तो वही सपा का कोर वोटर ही अपने प्रत्याशी को जिता कर इस सीट को अभेद बनाए हुए हैं।ऐसा हम नही कह रहे बल्कि आकंड़े इसकी गवाही दे रहे हैं कि मल्हनी विधानसभा के बीते तीनों चुनाव में भाजपा व बसपा के प्रत्याशी धनंजय सिंह के लिये वोट कटुआ ही साबित हुए हैं, जबकि उसके पूर्व रारी विधानसभा में बसपा के कोर वोटर के मिल जाने से धनंजय सिंह की इस क्षेत्र में तूती बोलती थी। राजनैतिक पंडितों की मानें तो यदि यहां भाजपा या बसपा इस सीट पर अपना प्रत्याशी ही ना उतारे तो निश्चित ही सपा का यह अभेद किला पर धनंजय सिंह को जीत मिल सकती है तो वही दूसरी ओर यदि धनंजय सिंह इस चुनाव में खुद को बाहर कर लें तो भाजपा व बसपा के लिये शायद कुछ जीत के आसार बन सकते हैं। नए परिसीमन के बाद से जिले के मल्हनी विधानसभा सीट का सृजन वर्ष 2012 में हुआ। तब से लेकर अब तक हुए तीन बार के चुनाव में हर बार समाजवादी पार्टी का ही कब्जा रहा है। इस सीट से लगातार दो बार विधायक रहे पूर्व कैबिनेट मंत्री पारसनाथ यादव की मौत के बाद जनता ने उनके बेटे लकी यादव को अपना विधायक चुना । लेकिन अबकी सपा के लिए राह आसान नजर नहीं आ रही है। ऐसे में चर्चाओं का बाजार गर्म है। देखना है कि इस बार भी सपा की ही कब्जा बरकरार रहता है या फिर सपा का तिलिस्म टूट जाएगा। साल 2012 के पहले यह विधानसभा सीट रारी के नाम से जानी जाती थी। यहां के चुनावी इतिहास पर नजर डालें तो लगातार छह बार यानी साल 1952, 1957, 1969, 1978, 1980 व 1989 कांग्रेस ने जीत दर्ज की थी। साल 2012 में यह सीट नए परिसीमन के बाद अस्तित्व में आई और मल्हनी विधानसभा क्षेत्र के नाम से जानी जाने लगी। सिकरारा, बक्शा और करंजाकला ब्लॉक के अधिसंख्य और सिरकोनी ब्लॉक के कुछ हिस्सों को मिलाकर इस विधानसभा क्षेत्र का गठन हुआ है। साल 2012 में इस सीट पर पहली बार चुनाव हुआ तो सपा के पारसनाथ यादव ने रिकार्ड 81602 वोट पाकर जीते थे। उन्होंने धनंजय सिंह की पूर्व पत्नी निर्दल उम्मीदवार डा. जागृति सिंह को 31502 वोटों के अंतर से हराया था। साल 2017 में सपा के पारसनाथ यादव को हराने के लिए निषाद पार्टी से बाहुबली पूर्व सांसद धनंजय सिंह मैदान में उतरे थे। लेकिन उन्हें भी हार का सामना करना पड़ा था। कोरोना काल में पारसनाथ यादव के निधन के बाद साल 2020 में उपचुनाव हुआ। सपा ने उनके बेटे लकी यादव को आगे लाया। जिन्होंने इस सीट पर सपा के जीत की हैट्रिक बनवाई। हालांकि इस उपचुनाव में कांटे का मुकाबला देखने को मिला था, जिसमें सपा के लकी यादव 73462 मत पाकर विधायक बने थे। जबकि पूर्व सांसद धनंजय सिंह निर्दल प्रत्याशी के तौर पर मैदान में थे और उन्हें 68838 मिले थे। वहीं, भाजपा के मनोज सिंह 28860 और बसपा के जय प्रकाश दुबे 25180 मत पाए थे। इस बार यहां मुकाबला काफी दिलचस्प होने की उम्मीद है। पूर्व सांसद धनंजय सिंह का चुनाव लड़ना तय हो गया है। वहीं, सीटिंग विधायक लकी यादव भी जनता के बीच जाकर प्रचार-प्रसार में जुटे हुए हैं। हालांकि इस वीआईपी सीट को हर हाल में जीतने को लेकर बसपा, भाजपा, कांग्रेस, आप समेत अन्य सभी दल रणनीति तैयार करने में लगे हुए हैं लेकिन असली जीत किसे नसीब होगी वह तो भाजपा व बसपा के टिकट की घोषणा से भी समझ आ सकता है।
रारी विस में कब कौन जीता-
1952-दीप नारायण वर्मा (कांग्रेस), 1957- राम लखन सिंह (कांग्रेस), 1962- कुवर श्रीपाल सिंह (जनसंघ), 1967- राज बहादुर यादव (निर्दल), 1969-सूर्यनाथ उपाध्याय (कांग्रेस), 1974- राज बहादुर यादव (भारतीय क्रांति दल), 1977-राज बहादुर यादव ( जनता पार्टी), 1978 ( उपचुनाव) सूर्यनाथ उपाध्याय (कांग्रेस), 1980- तेज बहादुर सिंह (कांग्रेस), 1985-अर्जुन यादव (दगकिया ), 1989- अरुण कुमार सिंह मुन्ना (कांग्रेस), 1991-मिर्जा जावेद रजा (जनता दल), 1993- लालजी यादव (बसपा), 1996- श्रीराम यादव (सपा), 2002 – धनंजय सिंह (निर्दल), 2007- धनंजय सिंह (जदयू), 2009 ( उप चुनाव) – राजदेव सिंह (बसपा)।
मल्हनी विधानसभा बनने पर कौन-कब जीता
2012- पारस नाथ यादव (सपा), 2017- पारस नाथ यादव (सपा), 2020- लकी यादव (सपा) वर्तमान विधायक।
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