आसान नहीं होगा नए सीपी के लिए जाम से निजात दिलाना


राजेश राय
वाराणसी(काशीवार्ता)। नए पुलिस कमिश्नर अशोक मुथा जैन ने जाम से छुटकारा दिलाने को सर्वोच्च प्राथमिकता की श्रेणी में रखा है, लेकिन यह काम असंभव नहीं तो मुश्किल जरूर है। इसलिए की जाम की समस्या के लिए पुलिस महकमा सिर्फ 25 प्रतिशत जिम्मेदार है। बाकी के 75 फीसदी की जिम्मेदारी नगर निगम, वीडीए और पीडब्ल्यूडी के ऊपर है। पूर्व में जाम से मुक्ति दिलाने में पुलिस ने जितने भी अभियान चलाए उसमे जिला प्रशासन के साथ साथ उक्त तीनों विभागों ने महत्वपूर्ण भूमिका निभाई थी। इसके लिए तत्कालीन एसएसपी अजय मिश्रा को याद किया जाता है, जिन्होंने तत्कालीन कलेक्टर प्रांजल यादव के साथ मिलकर शहर को जाम से मुक्त करने में काफी हद तक सफलता पाई थी। इसमें गाजीपुर के प्राइवेट बस अड्डे को कैंट से चौकाघाट शिफ्ट करना शामिल है। इसके साथ ही शहर की महत्वपूर्ण सड़कों पर राजस्व नक्शे के अनुसार अतिक्रमण मुक्ति अभियान भी चला था। आज शहर में जो थोड़ी बहुत सड़क चलने लायक बची है उसमे इन दोनो अधिकारियों के साथ साथ पूर्व के अधिकारी हरदेव सिंह, बीएस भुल्लर, वीणा कुमारी मीणा का भी बहुत बड़ा योगदान है। इन अधिकारियों ने काशी को दिल से अपनाया और मन से काम किया। दुर्भाग्य से बाकी के अधिकारी सिर्फ बयानबीर साबित हुए। जिसका खामियाजा आज शहर भुगत रहा है।
तत्काल अतिक्रमण हटाओ अभियान शुरू करना होगा: अगर सीपी अशोक मुथा जैन वास्तव में ट्रैफिक समस्या को लेकर गंभीर हैं तो उन्हें बिना वक्त गवाएं जिला प्रशासन नगर निगम वीडीए और पीडब्ल्यूडी के साथ मिल कर अतिक्रमण हटाओ अभियान शुरू करना होगा। इसमें पक्के अवैध निर्माण पर फोकस जरूरी होगा। इस काम में राजस्व नक्शे की महत्वपूर्ण भूमिका होगी। अतिक्रमण चिन्हीकरण के साथ ही लाल निशान लगाना होगा।
सड़कों से अवैध धर्मस्थलों को हटाना होगा: शहर में सुगम यातायात में सबसे बड़ी बाधा अवैध धमस्थल हैं। जिले में लगभग 4 हजार अवैध धर्मस्थल हैं हाईकोर्ट और सुप्रीमकोर्ट ने इन्हे हटाने का आदेश दे रखा है लेकिन अभी तक इन्हे नहीं हटाया जा सका है। बिना भेदभाव और राजनीतिक दबाव की परवाह किए बिना इन्हे तत्काल हटाना होगा।
ट्रैफिक नियमो में बदलाव से मिल सकती है जाम से मुक्ति
जाम से मुक्ति दिलाने के लिए वाराणसी प्रशासन को दूसरे मेट्रो सिटी की तर्ज पर यहां भी व्यवस्था बदलनी चाहिए। समय के हिसाब से ट्रैफिक नियम बदलते रहना होगा। तभी जाम से छुटकारा मिल सकता है। शहर में बाहर से काम करने के लिए आने और जाने वालो का समय तय है, स्कूल जाने और स्कूल से बच्चो के आने का समय भी लगभग एक ही है। यही नहीं, यहाँ रहने वाले लोगो के भी घर से आॅफिस जाने और आने का समय कमोवेश एक ही है। दूसरी बात किस रोड पर किस समय अधिक यातायात का दबाव है, इसे भी देखने की जरूरत है। प्रशासन चाहे तो सीसीटीवी कैमरे से भी इसकी पड़ताल कर सकता है। इसके बाद ही तय किया जा सकता है कहां किस तरह के ट्रैफिक नियमों की आवश्यकता है। इसके लिए कही वनवे तो कहीं टू-वे और कहीं टू-वे तो कहीं वन-वे करने की जरूरत है। कई जगह वन-वे का कोई मतलब नहीं है, फिर भी अनायास ऐसा करके न जाने क्या बताने की कोशिश की गई है। कई जगह अतिक्रमण भी जाम के लिये जिम्मेदार है। जिसे किसी भी सूरत में हटाना चाहिए। लंका, महमूरगंज, सिगरा, आंध्रापुल, चौकाघाट जैसे इलाकों पर विशेष ध्यान देने की जरूरत है। यहां अतिक्रमण के साथ ही दिन के अलग अलग समय में ट्रैफिक नियम बदलते रहना होगा। यह कोई नई बात नहीं होगी। ऐसा प्रयोग राजधानी दिल्ली, कोलकाता, केरल, चेन्नई सहित कई प्रदेशों में हो चुका है और वह सफल भी हुआ।
डॉ. विश्वंभर सिंह (ईएनटी बीएचयू)
जाम से मुक्ति के लिए नयी काशी की परिकल्पना को साकार करना होगा। विकास प्राधिकरण को इसके लिए आगे आना चाहिए और शहर के बिल्डरों की बैठक बुलाकर उनसे नए शहर को बसाने के बाबत बात करनी चाहिए। पर्यटकों की भारी भीड़ बनारस आ रही है। शादी-व्याह का सीजन है, वहीं पहले से बरकरार अतिक्रमण की समस्या। इन सबके कारण जाम की विभिषिका से रोज लोगों को दो-चार होना पड़ता है। प्रशासन को चाहिए कि लॉन संचालकों को सख्त हिदायत दें कि आपके यहां पार्किंग की व्यवस्था न हो तो वैवाहिक कार्यक्रमों की बुकिंग न करें, अन्यथा लाइसेंस निरस्त कर दिया जायेगा। वहीं यात्री वाहनों का रूट तय हो। विकास प्राधिकरण को अतिक्रमण हटाने के लिए पहल करनी चाहिए। सड़क के दोनों ओर कम से कम 5 फीट बाउंड्री पीछे करने की अपील करे। इसके एवज में उनका एक फ्लोर का नक्शा बिना किसी शुल्क के पास करें। इससे कम से कम 10 फीट तक सभी सड़कें चौड़ी हो जायेंगी तथा काफी हद तक जाम से छुटकारा मिल जायेगा।
संजय गुप्ता- भाजपा नेता व काशी क्षेत्र आर्थिक प्रकोष्ठ के संयोजक
नए फ्लाईओवर व अंडरपास पर काम हो
शहर को तत्काल आधा दर्जन फ्लाईओवर और अंडरपास की जरूरत है ताकि सड़कों पर वाहनों का दबाव कम हो सके। इसके अलावा रिंग रोड से बेहतर कनेक्टिविटी वाली कम से कम आधा दर्जन सड़कों की कार्ययोजना पर तत्काल काम करने की जरूरत है। सड़कों की क्षमता के हिसाब से टोटो,आॅटो और पैडल रिक्शा की संख्या निर्धारित हो। शहर की सभी सड़कों पर इस समय सभी तरह के पब्लिक ट्रांसपोर्ट चल रहे हैं। इनमे टोटो,आॅटो पैदल रिक्शा तथा हल्के मालवाहक शामिल हैं। यह पूर्णतया गलत है। प्रमुख सड़कों से टोटो और पैडल रिक्शा को तत्काल हटाए जाने की जरूरत है। इन्हे सिर्फ ब्रांच रोड पर चलने की अनुमति होनी चाहिए। प्रमुख सड़कों पर ज्यादा से ज्यादा इलेक्ट्रिक सिटी बसें चलनी चाहिए। इससे न सिर्फ प्रदूषण घटेगा बल्कि सड़कों पर निजी वाहनों की भीड़ भी कम होगी। आॅटो और टोटो को सड़क की क्षमता के हिसाब से परमिट निर्गत होना चाहिए। नगर के ज्यादातर चौराहों तिराहों की डिजाइन गलत है। बिना अतिक्रमण हटाए इन चौराहों पर ट्रैफिक पुलिस की गुमटियां रख दी गई हैं। इससे बजाय यातायात सुगम होने के व्यवधान ज्यादा होता है। जेपी मेहता तिराहा, सिगरा रथयात्रा सहित अनेक चौराहों पर दोषपूर्ण ट्रैफिक पुलिस पोस्ट देखा जा सकता है। एक निजी संस्था ने मनमाने ढंग से ये पोस्ट रख दिए हैं। इन्हे हटाने के साथ ही डिवाइडर को सही ढंग लगाने व ट्रैफिक सिग्नल को पुन: व्यवस्थित करने की जरूरत है।