वाराणसी के शिल्पियों को वैश्विक बाजार से जोड़ने की हो रही कवायद


काशी एक-रूप अनेक कार्यक्रम के दूसरे दिन कार्यशाला का आयोजन
वाराणसी। दुनिया में ब्रांड बनारस वैसे तो किसी पहचान का मोहताज नहीं, लेकिन यहां के शिल्पियों-कारीगरों को सीधे वैश्विक बाजार से जोड़ने की ठोस पहल की जा रही है, ताकि इन्हें अधिकतम लाभ पहुंचाया जा सके। इसी क्रम में दीनदयाल हस्तकला संकुल में चल रहे काशी एक-रूप अनेक कार्यक्रम के तहत सोमवार को कार्यशाला आयोजित हुई, जिसमें अमेरिका व इटली के विशेषज्ञों ने बुनकरों-शिल्पियों को मार्केटिंग, ब्रांडिंग सहित सोशल मीडिया से जुड़ने का तरीका बताया। साथ ही अपने उद्योग एवं उत्पाद को और भी निखारने का सलीका सिखाया। उत्तर प्रदेश इंस्टीट्यूट आॅफ डिजाइन की ओर से आयोजित कार्यक्रम का शुभारंभ
16 फरवरी को प्रधानमंत्री मोदी ने किया था।

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बतौर मुख्य अतिथि इंडियन काउंसिल आॅफ कल्चर रिसर्च (आइसीसीआर) के अध्यक्ष विनय सहस्त्रबुद्धे ने कहा कि भारतीय शिल्पकला बेहद अनूठा है, जो अपने दामन में लाखों कहानियां समेटे हुए है। यूपीआइडी की अध्यक्ष क्षिप्रा शुक्ला ने कहा कि शिल्पकारों के लिए यह जनाना बेहद जरूरी है कि वो न सिर्फ डिजाइनों के बारे में सीखें, बल्कि यह भी जानें कि दुनिया के बड़े-बड़े ब्रांड कैसे काम करते हैं। इस अवसर पर संयुक्त आयुक्त उद्योग उमेश सिंह, जेडी निफ्ट शंकर झा, उद्यमिता विकास संस्थान-यूपी के निदेशक डीपी सिंह, उप-निदेशक निट्रा डा. एवी अग्रवाल, असिस्टेंट डयरेक्टर-एमएसएमई सुरेंद्र शर्मा आदि थे।