किसान आंदोलन से जाट बिफरे तो पश्चिम यूपी में सक्रिय हुई बीजेपी


कृषि कानून के खिलाफ पंजाब से शुरू हुआ किसान आंदोलन पहले हरियाणा तक पहुंचा, लेकिन अब इसकी जद में पश्चिमी उत्तर प्रदेश भी आ गया है. किसान नेता राकेश टिकैत के समर्थन में जिस तरह से गाजीपुर बॉर्डर पर लोग अपना समर्थन देने पहुंच रहे हैं और पश्चिम यूपी में महापंचायतों का दौर शुरू हो गया है. इससे ऐसा लग रहा है कि पश्चिमी उत्तर प्रदेश अब किसान आंदोलन का प्रमुख केंद्र बन रहा है, जो बीजेपी की सियासी राह में चुनौती खड़ी कर सकता है. यही वजह है कि सूबे की योगी सरकार फूंक-फूंक कर कदम रख रही है और बीजेपी अपने समीकरण को साधने के लिए सक्रिय हो गई है.

बीजेपी नफा-नुकसान के अकलन में जुटी
आरएलडी के सक्रिय होने से अगर जाट समुदाय बीजेपी से छिटकता है तो उसके लिए यूपी के पंचायत चुनाव ही नहीं बल्कि 2022 विधानसभा चुनाव के लिए परेशानी का सबब बन सकता है. इन्हीं राजनीतिक नफा नुकसान को देखते हुए योगी सरकार ने किसान आंदोलन पर एक्शन लेने से अपने कदम पीछे खींच लिए और बीजेपी सधे पांव से उन्हें समझाने के लिए सक्रिय हो गई है. मुजफ्फरनगर के बड़ौत से बीजेपी विधायक विक्रम सैनी ने किसान आंदोलन को विपक्षी पार्टी की साजिश करार दिया है और कहा कि मोदी और योगी सरकार ने पश्चिम यूपी और किसानों के लिए जितना काम किया है, उतना किसी ने नहीं किया.

बीजेपी पश्चिम यूपी में सक्रिय
फरवरी के दूसरे सप्ताह से उत्तर प्रदेश सरकार के मंत्री गांवों में पहुंचकर चौपाल लगाएंगे और किसानों की कृषि कानूनों पर नाराजगी को दूर करने की कवायद करेंगे. बीजेपी के जाट नेता और कैबिनेट मंत्री भूपेंद्र चौधरी पश्चिम यूपी में सहकारिता निकायों की सिलसिलेवार बैठक कर रहे हैं, जिसमें बीजेपी किसानों को न सिर्फ कृषि कानून के फायदे बता रही है, बल्कि यह भी समझा रही है कि विरोधी दल किसानों के कंधे पर बंदूक रखकर अपना हित साध रहे हैं. हाल के दिनों में उन्होंने मेरठ और सहारनपुर में तमाम बैठके की हैं.

किसान आंदोलन की धार तेज होते देख बीजेपी ने पश्चिम प्रदेश में दो सह संगठन मंत्री नियुक्त किए हैं, जिनमें से एक यानी कर्मवीर मेरठ में रहेंगे, यहां पर क्षेत्रीय इकाई मुख्यालय और संघ मुख्यालय भी है, साथ ही प्रभारी के रूप में कद्दावर नेता पंकज सिंह को जिम्मेदारी दी गई है. प्रदेश इकाई के करीबी जेपीएस राठौर क्षेत्रीय प्रभारी बनाए गए हैं, जो पश्चिम यूपी में सक्रिय हो गए हैं.

बीजेपी योजनाओं को घर-घर पहुंचाएंगी

बीजेपी विधायक विक्रम सैनी ने बताया कि बीजेपी सरकार आने के बाद पश्चिम यूपी में सबसे ज्यादा विकास किए गए हैं और किसानों के तमाम कदम उठाएंगे. उन्होंने बताया कि कृषि कानूनों का जो लोग यहां विरोध कर रहे हैं, वो किसान नहीं बल्कि आरएलडी के कार्यकर्ता हैं. ऐसे में पार्टी ने तय किया है कि हम किसानों के बीच गांव-गांव जाकर बीजेपी सरकार में उठाए गए कदम से लोगों को अवगत कराएंगे.

पंचायत चुनावों की रणनीति के बहाने बीजेपी प्रदेश अध्यक्ष स्वतंत्र देव सिंह ने पिछले दिनों पश्चिम यूपी के सहारनपुर जिले से मंडल स्तर पर बैठक के अभियान की शुरूआत की थी और दो दिन रहकर उन्होंने यहां के सियासी नब्ज को टटोलने की कोशिश की है. बीजेपी नेता ने बताया कि पार्टी संगठन और सरकार अपने दिग्गजों को गांव में चौपाल लगाकर विभिन्न कल्याणकारी योजनाओं के लाभर्थियों से संवाद करने के लिए कहा है, जिसका मकसद पश्चिम यूपी के दुर्ग को मजबूत बनाने का है.

आरएलडी अपना जनाधार वापस लाने में जुटी
पश्चिम यूपी में किसान और जवान ही नजर आते हैं. जाट समुदाय यहां की राजनीतिक दशा और दिशा तय करता है. किसान आंदोलन में दोबारा से आई जान के बाद चौधरी अजित सिंह के बेटे व आरएलडी के राष्ट्रीय उपाध्यक्ष जयंत चौधरी अपने खोए हुए जनाधार खासकर जाट समुदाय को वापस लाने के लिए सक्रिय हैं. पश्चिमी उत्तर प्रदेश के 11 जिलों में आरएलडी नेता जयंत चौधरी किसान महापंचायत करने का ऐलान किया है. इनमें शामली, अमरोहा, अलीगढ़, बुलंदशहर, फतेहपुरी सीकरी, भरतपुर (राजस्थान) हाथरस और मथुरा जिले में चार रैली हैं. मुजफ्फरनगर, बागपत, मथुरा और बिजनौर में वो महापंचायत कर जाट समुदाय को सियासी संदेश देने की कोशिश की है.

बता दें कि नरेश टिकैत ने मुजफ्फरनगर की महापंचायत में कहा था, पहले भाजपा यूपी या हरियाणा में अपनी रैली कर ले और फ‍िर अगले दिन हम करेंगे और उन्हें हर जगह फेल कर देंगे.’ टिकैत के चुनौती देने वाले बयान योगी सरकार के गन्ना मंत्री सुरेश राणा ने कहा था, ‘मैं खुद किसान का बेटा हूं और मैं यही कहूंगा कि परिवार के साथ कभी शक्ति परीक्षण नहीं होता.’ इतना ही नहीं सुरेश राणा ने कहा कि सरकार ने किसानों की आमदनी को दोगुना करने के लिए कृषि कानून लेकर आई है, ऐसे में किसानों के कोई दिक्कत है तो सरकार उनसे वार्ता करने के लिए तैयार है. इसके बाद भी कुछ ऐसे राजनीतिक दल है जिन्हें जनता ने नकारा दिया है, वहीं है जो किसानों के कंधों पर रखकर अपनी सियासत कर रहे हैं.