गुलशन कुमार हत्याकांड केस में फैसला, बॉम्बे हाईकोर्ट ने दोषी अब्दुल रऊफ की उम्रकैद की सजा को रखा बरकरार


मुंबई। टी-सीरीज के संस्थापक गुलशन कुमार मर्डर केस में गुरुवार को बॉम्बे हाईकोर्ट ने दोषी अब्दुल रऊफ ऊर्फ दाउद मर्चेंट की याचिका खारिज कर दी है। कोर्ट ने सेशन कोर्ट की ओर से रऊफ को सुनाई गई उम्रकैद की सजा को बरकरार रखा है। हाईकोर्ट ने साफ कहा कि अब्दुल रऊफ किसी तरह की उदारता का हकदार नहीं है क्योंकि वह पहले भी पैरोल के बहाने बांग्लादेश भाग गया था। कोर्ट ने इस मामले में रमेश तौरानी को बरी कर दिया है। उसके बरी होने पर महाराष्ट्र सरकार ने कहा है कि तौरानी को बरी करने के खिलाफ वे फिर से कोर्ट में अपील करेंगे। अब्दुल रऊफ को गुलशन कुमार हत्या के केस में दोषी ठहराया गया था और अप्रैल 2002 में उसे उम्रकैद की सजा मिली थी। फिर 2009 में वह पैरोल लेकर बाहर आया और बांग्लादेश भाग गया। फिर बाद में उसे बांग्लादेश से प्रत्यर्पित कर भारत लाया गया था।

बता दें कि 12 अगस्त 1997 को मुंबई के जुहू इलाके में स्थित जीतेश्वर महादेव मंदिर के बाहर गोली मारकर गुलशन की हत्या कर दी गई थी। मंदिर के बाहर तीन हमलावरों ने एक के बाद एक 16 गोलियों से उन्हें छलनी कर दिया था। उनके ड्राइवर ने उन्हें बचाने की कोशिश की तो शूटर्स ने उसे भी गोली मार दी। गुलशन कुमार को अस्पताल ले जाया गया, लेकिन रास्ते में ही उनकी मौत हो चुकी थी। जांच में सामने आया था कि अबु सलेम ने सिंगर गुलशन कुमार से 10 करोड़ रुपए देने के लिए कहा था। गुलशन कुमार के मना करने पर सलेम ने शूटर के जरिए गुलशन कुमार का मर्डर करवा दिया था। अबू सलेम ने गुलशन कुमार को मारने की जिम्मेदारी दाऊद मर्चेंट और विनोद जगताप नाम के दो शार्प शूटरों को दी थी। 9 जनवरी 2001 को विनोद जगताप ने कुबूल किया कि उसने ही गुलशन कुमार को गोली मारी थी।