हाईकोर्ट ने राज्‍य सरकार से पूछा- सार्वजनिक मार्गों पर बने धर्मस्थलों को हटाने के लिए क्या किया


इलाहाबाद हाईकोर्ट की लखनऊ पीठ ने सार्वजनिक मार्गों आदि पर बने धर्मस्थलों को हटाने संबंधी अपने 3 जून 2016 के आदेश की अनुपालन रिपोर्ट राज्य सरकार से 17 मार्च तक तलब की है। अदालत ने सरकारी वकील को मुख्य सचिव व अन्य संबंधित अधिकारियों को दो सप्ताह के भीतर अनुपालन रिपोर्ट दाखिल करने का आदेश दिया है।

यह आदेश जस्टिस देवेंद्र कुमार उपाध्याय और जस्टिस मनीष कुमार की पीठ ने लवकुश की ओर से दाखिल की गई एक रिट याचिका पर पारित किया। अदालत ने पाया कि उक्त याचिका पर 3 जून 2016 को कोर्ट ने आदेश जारी करते हुए सात माह में मुख्य सचिव को अनुपालन रिपोर्ट दाखिल करने को कहा था, लेकिन रिपोर्ट नहीं दाखिल की गई है। कोर्ट ने 3 जून 2016 को जारी आदेश में कहा था कि मुख्य सचिव सभी जिलाधिकारियों, वरिष्ठ पुलिस अधीक्षकों और पुलिस अधीक्षकों को निर्देश जारी करें कि वे किसी भी सार्वजनिक मार्ग पर किसी भी प्रकार का धार्मिक निर्माण न होना सुनिश्चित करें। यदि इस प्रकार के निर्माण किसी सार्वजनिक मार्ग पर 1 जनवरी 2011 या उसके बाद हुए हैं तो उसे हटाया जाए और अनुपालन की रिपोर्ट सम्बंधित प्रमुख सचिव को भेजी जाए, जो दो माह के भीतर एक विस्तृत रिपोर्ट मुख्य सचिव को भेजेंगे।

न्यायालय ने कहा कि 10 जून 2016 या उसके बाद सार्वजनिक मार्गों पर अतिक्रमण कर धार्मिक स्थल न बनने पाए। इसकी जिम्मेदारी संबंधित जिलाधिकारी, उप जिलाधिकारी, व एसपी-एसएसपी तथा सीओ की होगी। अदालत ने उक्त आदेश के अनुपालन की रिपोर्ट सात माह के पश्चात 7 जनवरी 2017 को मुख्य सचिव द्वारा दाखिल की जाए।

अदालत ने इसके साथ ही राज्य सरकार को आदेश दिया था वह एक योजना बनाए जिससे सुनिश्चित किया जा सके कि सार्वजनिक मार्गों या गलियों के यातायात के सुचारु प्रवाह में किसी भी धार्मिक गतिविधि की वजह से कोई बाधा न उत्पन्न होने पाए और इस प्रकार की धार्मिक गतिविधियां उन्हीं स्थानों पर हों जो इसके लिए निर्धारित की गई हैं।