संकट को अवसर में बदलेगा भारत घटाएगा आयात पर निर्भरता : मोदी


नई दिल्ली। 41 कोयला खदानों की नीलामी के उद्घाटन संबोधन में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कहा है कि कोविड-19 संकट को भारत एक अवसर में बदलेगा। इसने भारत को आत्मनिर्भर बनने की सीख दी है। पीएम ने कहा कि भारत आयात पर अपनी निर्भरता घटाने जा रहा है। एनर्जी सेक्टर में भारत को आत्म-निर्भर बनाने के लिए आज बड़ा कदम उठाया जा रहा है। पीएम मोदी ने कहा, ”हमने 2030 तक 100 मिलियन टन कोयले को गैस में बदलने का लक्ष्य निर्धारित किया है। उन्होंने इस बात का जिक्र किया कि भारत में दुनिया का चौथा सबसे बड़ा कोयला रिजर्व होने और दूसरा सबसे बड़ा उत्पादक होने के बावजूद कोयले का निर्यात नहीं होता है, बल्कि कोयले का दूसरा सबसे बड़ा आयातक है।
पीएम ने कहा कि कोरोना से लड़ेगा भी और आगे भी बढ़ेगा। भारत इस बड़ी आपदा को अवसर में बदलेगा। उन्होंने कहा कि महीने भर के भीतर ही, हर घोषणा, हर रिफॉर्म्स, चाहे वो कृषि क्षेत्र में हो, चाहे एमएसएमई 2 के सेक्टर में हो या फिर अब कोयला और खनन के सेक्टर में हो, तेजी से जमीन पर उतर रहे हैं,ये दिखाता है कि भारत इस संकट को अवसर में बदलने के लिए कितना गंभीर है, कितना प्रतिबद्ध है।
उन्होंने कहा कि आज हम सिर्फ वाणिज्यिक कोयला खनन के लिए नीलामी ही लॉन्च नहीं कर रहे हैं, बल्कि कोयला क्षेत्र को दशकों के लॉकडाउन से भी बाहर निकाल रहे हैं। साल 2014 के बाद इस स्थिति को बदलने के लिए एक के बाद एक कई कदम उठाए गए।जिस कोल लिंकेज की बात कोई सोच नहीं सकता था, वो हमने करके दिखाया। ऐसे कदमों के कारण कोयला क्षेत्र को मजबूती भी मिली। उन्होंने कहा कि कोयला रिफॉर्म करते समय इस बात का भी ध्यान रखा गया है कि वातावरण की रक्षा भारत का कमिटमेंट कहीं से भी कमजोर न पड़े। कोयला से गैस बनाने के लिए अब बेहतर और आधुनिक टेक्नोलॉजी आ पाएगी, कोल गैसीफिकेशन जैसे कदमों से वातावरण की भी रक्षा होगी।
पीएम मोदी ने कहा कि वाणिज्यिक कोयला खनन के लिए आज जो ये नीलामी की शुरूआत हो रही है वो हर हितधारकों के लिए फायदेमंद स्थिति है। इंडस्ट्रीज को, आपको, अपने बिजनेस, अपने निवेश के लिए अब नए साधन मिलेंगे, नया मार्केट मिलेगा। उन्होंने कहा कि कोयला निकालने से लेकर परिवहन तक को बेहतर बनाने के लिए जो आधुनिक इंफ्रास्ट्रक्चर तैयार किया जाएगा, उससे भी रोजगार के अवसर बनेंगे, वहां रहने वालों को अधिक सुविधाएं मिलेंगी। देश में 16 आकांक्षात्मक जिले ऐसे हैं, जहां कोयले के बड़े-बड़े भंडार हैं। लेकिन इनका लाभ वहां के लोगों को उतना नहीं हुआ, जितना होना चाहिए था।यहां से बड़ी संख्या में हमारे साथी दूर, बड़े शहरों में रोजगार के लिए प्रवास करते हैं।