अजीत सिंह
गाजीपुर (काशीवार्ता)। वर्ष 2019 के लोकसभा चुनाव में हारी हुई गाजीपुर की सीट पर विशाल जनसभा करके भाजपा पूरे पूर्वांचल में ताकत दिखाएगी। इसलिए पूर्वांचल में पहली जनसभा भाजपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष जेपी नड्डा की गाजीपुर में हो रही है। भाजपा ने भीड़ का फार्मूला तय करने के लिए प्रत्येक मंडलों से एक एक हजार का लक्ष्य निर्धारित कर दिया है। इसके लिए लगातार तैयारी बैठकें चल रही हैैं। भाजपा जिलाध्यक्ष के साथ ही एमएलसी विशाल सिंह चंचल, चेयरमैन सपना सिंह, भाजपा की तीनों पूर्व विधायकों के साथ ही ब्लाक प्रमुख दिन रात एक करके भीड़ जुटाने में लगे हुए हैं। नड्डा की सभा पर विपक्ष के साथ ही मोदी और अमित शाह की भी नजर है। पार्टी के कई दिग्गज कार्यक्रम को सफल बनाने के लिए लगातार यहां पर आ रहे हैं।
वर्ष 2014 में हुए लोकसभा चुनाव के दौरान भाजपा के मनोज सिन्हा चुनाव जीते थे और जीतकर केंद्र में मंत्री बने थे। उन्होंने पिछड़े जिले में शुमार रहे गाजीपुर में विकास की गंगा बहाई थी। करीब बीस हजार करोड़ का विकास हुआ था, लेकिन 2019 के लोकसभा चुनाव में मनोज सिन्हा माफिया मुख्तार अंसारी के बड़े भाई अफजाल अंसारी से चुनाव हार गए। मनोज सिन्हा के चुनाव हारने पर शीर्ष नेतृत्व भी हैरान हुआ था। क्योंकि यह सीट प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की वाराणसी सीट की सीमा से सटी हुई थी। इसलिए भी इसका विशेष महत्व भाजपा में था। हार के कारणों की समीक्षा भी हुई। एक वर्ष के भीतर ही मनोज सिन्हा को जम्मू एवं कश्मीर का उपराज्यपाल बना दिया गया। अब 2024 का चुनाव सिर पर है। मनोज सिन्हा भी लगातार जिले में आ रहे हैं और उनके बेटे विकास की गाथा लोगों को सुनाकर चुनाव लड़ने का संकेत भी दे रहे हैं। इधर इस सीट को जीतने के लिए भाजपा पूरी ताकत झोके हुए हैं। यूपी में 2022 में सरकार बनाने के बाद से लगातार यहां पर पार्टी के केंद्रीय नेताओं के साथ ही प्रदेश सरकार के मंत्री जिले में लगातार आकर भाजपा के पक्ष में सियासी फिजा बनाने की कोशिश में जुटे हुए हैं।क्योंकि गाजीपुर की सातों सीटें भाजपा आ चुकी है। यहां के सियासी गणित को समझा जाए तो साढ़े चार लाख यादव, और चार लाख दलित के साथ ही पौने दो लाख मुसलमान वोटरों से भरी गाजीपुर लोकसभा सीट पर भाजपा का जीतना टेढ़ी खिर सियासत के जानकार मानते हैं। 2014 के लोकसभा चुनाव में डीपी यादव के चुनाव लड़ने के कारण यादव वोटों में बिखराव के बाद ही सपा हारी थी और मनोज सिन्हा जीत गए थे। इस बार अगर सपा अकेले भी लड़ेगी तो उसके यादव और मुसलमान वोट भाजपा पर भारी पड़ सकते हैं। अभी यह तय नहीं हुआ है कि मनोज सिन्हा चुनाव लड़ेंगे या फिर आजमगढ़ के सांसद और गाजीपुर निवासी दिनेश लाल निरहूआ को मैदान में उतारा जाएगा। पहले उसर हो चुकी गाजीपुर की सियासी धरती पर उम्मीद की बीज बोने आ रहे भाजपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष जेपी नड्डा पार्टी में चल रही गुटबाजी के साथ ही कार्यकतार्ओं में जोश भरकर 2024 की जीत की नींव रखेंगे। कार्यक्रम की सफलता के लिए पूरी भाजपा जी जान से जुटी हुई है।