विद्युत ऊर्जा के भंडारण के लिए किफायती और अधिक प्रभावी विकल्पों की तलाश


लगातार की जा रही है। भारतीय शोधकर्ता अब ग्राफीन आधारित एक ऐसा किफायती सुपरकैपेसिटर विकसित कर रहे हैं, जो अत्याधुनिक सैन्य उपकरणों, मोबाइल उपकरणों और आधुनिक वाहनों समेत अन्य विभिन्न अनुप्रयोगों को ऊर्जा मुहैया कराने की दिशा में एक कारगर विकल्प बनकर उभर सकता है। सुपरकैपेसिटर, जिसे अल्ट्राकैपेसिटर या इलेक्ट्रोकेमिकल कैपेसिटर के रूप में भी जाना जाता है, विद्युत ऊर्जा के भंडारण के लिए उपयोग होने वाला एक उपकरण है, जिसकी लोकप्रियता तेजी से बढ़ रही है। अल्ट्राकैपेसिटर बनाने के लिए आमतौर पर सक्रिय कार्बन का उपयोग होता है, जो काफी महंगा पड़ता है। नये विकसित अल्ट्राकैपेसिटर में ग्राफीन का उपयोग किया गया है, जिसके कारण इसका वजन कम होने के साथ-साथ इसकी लागत में भी दस गुना तक कमी आई है। शोधकतार्ओं का कहना है कि सक्रिय कार्बन का सतही क्षेत्रफल ज्यादा होता है, जो इलेक्ट्रीकल चार्ज को भंडारित करता है। यह सतही क्षेत्रफल जितना ज्यादा होगा वह उतना अधित विद्युत ऊर्जा को भंडारित कर सकता है।

बाजार में उपलब्ध अन्य सुपरकैपेसिटर में उपयोग होने वाले सक्रिय कार्बन की लागत करीब

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एक लाख रुपये प्रति किलोग्राम तक है। केंद्रीय यांत्रिक अभियांत्रिक अनुसंधान संस्थान (सीएमईआरआई), दुगार्पुर के वैज्ञानिकों ने ग्राफीन आॅक्साइड बनाने की नई तकनीक विकसित की है, जिसका उपयोग अल्ट्राकैपेसिटर बनाने में किया जा रहा है। सीएमईआरआई के वैज्ञानिक डॉ नरेश चंद्र मुर्मू ने इंडिया साइंस वायर को बताया कि सीएमईआरआई के वैज्ञानिकों ने ग्राफीन आॅक्साइड विकसित करने की तकनीक बनायी है। ग्राफीन आॅक्साइड का उपयोग सुपरकैपेसिटर बनाने में किया जा सकता है। इस तकनीक के उपयोग से एक किलोग्राम ग्राफीन आॅक्साइड की उत्पादन लागत करीब दस हजार रुपये आती है, जो सुपरकैपेसिटर में उपयोग होने वाले सक्रिय कार्बन की लागत से बेहद कम है। हमने अपने अध्ययन में ग्राफीन की सतह का रूपांतरण किया है, जिसकी वजह से इसका वजन कम करने में भी सफलता मिली है। इस ग्राफीन का उपयोग करके अब हम अल्ट्राकैपेसिटर बनाने के एडवांस चरण में पहुंच गए हैं, जो विभिन्न क्षेत्रों में उपयोगी हो सकता है। रक्षा विकास अनुसंधान संगठन (डीआरडीओ) के पूर्व वरिष्ठ अधिकारी एम.एच. रहमान ने बताया कि अल्ट्राकैपेसिटर जैसे ऊर्जा के वैकल्पिक स्रोतों का महत्व बढ़ रहा है। इस तरह के उपकरण नागरिक उपयोग के अलावा रणनीतिक एवं रक्षा क्षेत्र में महत्वपूर्ण हो सकते हैं।