राष्ट सत्ता से नहीं, संस्कृति व संस्कारों से बना


वाराणसी (काशीवार्ता)। जंगमबाड़ी मठ में आयोजित समारोह को संबोधित करते हुए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कहा कि काशी का जनप्रतिनिध हूं और काशाी की धरती पर संतों का आशीर्वाद का सौभाग्य मिला। पीएम मोदी ने कहा कि संस्कृति और संस्कृत की संगम स्थली में आप सभी के बीच आना, मेरा लिए बहुत बड़ा सौभाग्य है। बाबा विश्वनाथ के सानिध्य में, मां गंगा के आंचल में, संत वाणी का साक्षी बनने का अवसर बार-बार नहीं मिलता। आपका स्वागत करता हूं। संस्कृत और संस्कृति के संगम स्थली में आना सौभाग्य है। बाबा विश्वनाथ गंगा के आंचल में संतवाणी का मौका हमेशा नहीं आता। पत्र मिला था और पत्र में राष्ट्र की चिंता थी। युवा भारत के लिए पुरातन भारत के गौारवगान का मौका था। संतों के ज्ञान सत्संग का मौका मिले छोडना नहीं चाहिए। पूरे देश के लोग कोने-कोने से यहां आए। कर्नाटक महाराष्ट्र से हैं और भोले की नगरी का

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प्रतिनिधित्व है।

आपका स्वागत है। तुलसी दास ने कहा है- संत समागम हरि कथा तुलसी दुर्लभ दोऊ। ऐसे में वीर शैव की संत परंपरा के शताब्दी वर्ष का आयोजन सुखद है। वीर शब्द का अर्थ वीरता का नहीं बल्कि वीर शैव परंपरा में वीर को आध्यात्मिक अर्थ से परिभाषित किया गया है। शेष पृष्ठ 5 पर
मानवता का महान संदेश नाम से जुड़ा है जिससे समाज को भय विरोध और विकारों से निकालने के लिए परंपरा का आग्रह और नेतृत्व रहा है।


पीएम मोदी ने कहा कि वीरशैव परंपरा वो है, जिसमें वीर शब्द को आध्यात्म से परिभाषित किया गया है। जो विरोध की भावना से ऊपर उठ गया है वही वीरशैव है। यही कारण है कि समाज को बैर, विरोध और विकारों से बाहर निकालने के लिए वीरशैव परंपरा का सदैव आग्रह रहा है। पीएम मोदी ने कहा कि जंगमवाड़ी मठ भावात्मक और मनोवैज्ञानिक रूप से वंचित साथियों के लिए प्रेरणा का माध्यम है। संस्कृत भाषा और दूसरी भारतीय भाषाओं को ज्ञान का माध्यम बनाते हुए, टेक्नॉलॉजी का समावेश आप कर रहे हैं, वो भी अद्भुत है। पीएम मोदी ने कहा कि सरकार का भी यही प्रयास है कि संस्कृत सहित सभी भारतीय भाषाओं का विस्तार हो, युवा पीढ़ी को इसका लाभ हो।
पीएम मोदी ने कहा कि भारत में राष्ट्र का यह मतलब कभी नहीं रहा कि किसने कहां जीत हासिल की, किसकी कहां हार हुई। हमारे यहां राष्ट्र सत्ता से नहीं, संस्कृति और संस्कारों से सृजित हुआ है, यहां रहने वालों के सामर्थ्य से बना है। मोदी ने कहा कि भारत में राष्ट्र का मतलब जीत और पराजय नहीं रहा। राष्ट्र सत्ता नहीं संस्कृति और संस्कारों से बना है। सामर्थ्य से बना है। ऐसे में देश की पहचान को पीढ़ी तक पहुंचाने का जिम्मा हम सभी पर है। मंदिर बाबा विश्वनाथ ज्योतिर्लिंग पीठ और चार धाम हों। यह दिव्य व्यवस्था हैं। यह एक और श्रेष्ठ भारत के मार्गदर्शक हैं। जनजन को विविधता को आपस में जोड़ते हैं। संयोग है कि गुरुकुल का शताब्दी वर्ष समारोह 21 वीं सदी के मौके पर भारत को विश्व पटल पर स्थापित करने वाला है। पुरातन ज्ञान और दर्शन को सिद्धांत शिखामणि का अभिनंदन। भक्ति से मुक्ति का मार्ग दिखाने वाले दर्शन को भावी पीढ़ी तक पहुंचाना चाहिए। एप से ज्ञान को युवाओं को और बल देगा प्रेरणा बनेगा। आगे चलकर इस एप के द्वारा इसी ग्रंथ के संबंध में क्विज कंपटीशन करना चाहिए। तीन को इनाम देना चाहिए। सब आनलाइन हो सकता है।
पीएम मोदी ने कहा कि संतों के ज्ञान को जन-जन तक पहुंचाना मानवता की बड़ी सेवा है। जो बन पड़े करना चाहिए। लिंगायत, वीरशैव के लोगों ने शिक्षा संस्कृति को बढ़ाया है। मठों के जरिए अज्ञानता दूर की जा रही है। जंगमबाड़ी मठ तो भावातमक और मनोवैज्ञानिक तरीके से प्रेरणा और आजीविका का जरिया है। संस्कृत और दूसरे भाषाओं संग तकनीक का समावेश कर रहे हैं। सरकार का प्रयास है संस्कृत और दूसरी भाषाओं का युवाओं को लाभ हो। चंद्रशेखर महास्वामी जी का आभार जिन्होंने दर्शन कोष बनाया। उनकी लिखी किताबें राष्ट्र निर्माण का संस्कार दे रही है। नागरिक के संस्कार से देश बनता है। संस्कार कर्तव्य भावना श्रेष्ठ बनाती है।
पीएम मोदी ने कहा कि आचरण नए भारत की दिशा तय करेगा। सनातन परंपरा में धर्म कर्तव्य का पर्याय रहा है। वीरशैव ने धर्म की शिक्षा कर्तव्यों के साथ दी है। पांच आचरण का जिक्र है। मठों के जरिए जीवन का संकल्प और राष्ट्र निर्माण करना है। दूसरों की सेवा के लिए करुणा भाव से आगे बढ़ना है संकल्पों से खुद को जोड़ना है। स्वच्छता में मठों गुरुकुलों की भूमिका रही। स्वच्छ भारत अभियान को आगे बढ़ाया है। भारत में बने सामान को, बुनकरों शिल्पियों को सम्मान देना है। हम सब लोकल सामान को खरीदें। लोगों को भारत में बने सामान के उपयोग पर बल देना है। मानसिकता बदला है कि इंपोर्टेड श्रेष्ठ है। जल जीवन पर आपकी भूमिका भी अहम है। पानी के बचत और सूखा मुक्त और जलयुक्त करना है। देश में बड़े अभियानों को सरकारों के जरिए नहीं होगा। जनभागीदारी करना होगा। गंगा के जल में सुधार इसका परिणाम है। आज गंगा के पास बसे जगहों पर दायित्वबोध कर्तव्यबोध ने गंगा को साफ करने में योगदान दिया है। नमामि गंगे का काम प्रगति पर है। आगे भी तेज कार्य होगा। मदद मिलेगी तो सहयोग से काम होगा। कुंभ में गंगा की स्वच्छता पर संतोष व्यक्त किया था। वीरशैव संतों ने जो संदेश दिया वह सरकारों को प्रेरणा देता है। आज देश में पुरानी समस्याओं पर फैसला आ रहा है। राम मंदिर प्रकरण फंसा था अब राम मंदिर का मार्ग साफ हो गया। राम मंदिर निर्माण के लिए ट्रस्ट की घोषणा की है। अयोध्या में भव्य मंदिर का निर्णय लेगा। संतों के आशीर्वाद से शुरू हुआ और पूरा होगा। राम मंदिर से जुड़ा फैसला लिया है। 67 एकड भूमि ट्रस्ट को मिलेगी। इतनी जमीन रही तो मंदिर की भव्यता बढ़ेगी। राम मंदिर और काशी विश्वनाथ धाम का कालखंड ऐतिहासिक है। इसके बाद मेरे और दो कार्यक्रम हैं। यह सभी काशी और नए भारत को मजबूत करेंगे। संकल्प लें कि नए भारत के निर्माण में खुद जिम्मेदारी लेंगे। राष्ट्र हित में बेहतर और कर्तव्य के लिए जिम्मा निभाएंगे। आपका आभार।