मनोज सिन्हा का विकल्प नहीं खोज पा रही भाजपा


(अजीत सिंह)
गाजीपुर (काशीवार्ता)। वर्ष 2024 में होने वाले लोकसभा चुनाव को लेकर भले ही भाजपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष जेपी नड्डा एवं यूपी के सीएम योगी ने जनसभा करके गाजीपुर का सियासी माहौल गरमा दिया, मगर अभी भी भाजपा मनोज सिन्हा का विकल्प नहीं खोज पा रही है। अब सवाल उठता है कि मनोज सिन्हा एलजी पद से इस्तीफा देंगे या फिर किसी नए चेहरे पर भाजपा दांव आजमाएगी। हालांकि आज भी मनोज सिन्हा की हार न तो भाजपा पचा पाई और न ही जनता। आज भी वोटर मनोज सिन्हा को हराकर पछता रहे हैं।
वर्ष 2019 के लोकसभा चुनाव में बीस हजार करोड़ का विकास जातिगत राजनीति पर हावी हो गया और बसपा सपा उम्मीदवार एवं माफिया मुख्तार के बड़े भाई अफजाल अंसारी ने सवा लाख वोटों से मनोज सिन्हा को ऐसी पटखनी दी कि पूरे भाजपा में ही भूकंप आ गया। प्रदेश और देश की राजधानी में चर्चा होने लगी। गाजीपुर की हार का मलाल आज भी भाजपा को है। जब गत बीस जनवरी को जेपी नड्डा और सीएम योगी यहां आए तो नड्डा ने भीड़ से कहा था कि आपने गलत सांसद चुन लिया है। उनका इशारा था कि गलत बटन दबाने से माफिया पैदा होते हैं और सही बटन दबाने से विकास होता है। उन्होंने मनोज सिन्हा के कार्यों की चर्चा भी की। यहां तक की सीएम योगी ने भी मनोज सिन्हा के विकास पर अपनी बात रखी। इससे साफ जाहिर हो रहा है कि 2024 का लोकसभा चुनाव मनोज सिन्हा ही लड़ेंगे। अगर किसी कारण वश मनोज सिन्हा इस्तीफा नहीं दे पाए तो भाजपा के सामने यह संकट पैदा हो जाएगा कि किसे लोकसभा का चुनाव लड़ाया जाए। आज की तारीख में मनोज सिन्हा जिले के लिए किसी करिश्माई नेता से कम नहीं है।हजार कार्यकर्ताओं की फौज मनोज सिन्हा के इर्दगिर्द घूमती है। लेकिन मनोज सिन्हा संवैधानिक पद पर होने के कारण कुछ भी बोल नहीं पाते। सिर्फ उनकी सियासी मुस्कान से ही यह समझा जाता है कि वह क्या चाहते हैं। उनका बार बार गाजीपुर आना और उनके बेटे अभिनव सिन्हा के जिले में लगातार बने रहने के कारणों को समझा जा सकता है। वह लोगों की समस्याओं को भी सुनते हैं। लेकिन जब नड्डा और सीएम योगी आए तो वह मंच पर और नीचे पंडाल में भी नहीं दिखाई दिए। कारण जो भी रहे हों, लेकिन सियासत के जानकार कहते हैं कि मनोज सिन्हा एलजी हैं। अभिनव सिन्हा को खुलकर सियासत करनी चाहिए। मनोज सिन्हा को हराकर गाजीपुर की जनता अवश्व पछताती है। क्योंकि मनोज सिन्हा गाजीपुर से नहीं हारे, बल्कि गाजीपुर का विकास हार गया। वैसे अफजाल और मनोज सिन्हा के सियासी निर्णय ही 2024 के लोकसभा चुनाव का परिणाम के मार्ग प्रशस्त करेंगे।