लाखों रुपये से बने फैसिलिटी सेंटर में खुली चाय की दुकान


(विशेष प्रतिनिधि)
वाराणसी(काशीवार्ता)। जनता के गाढ़ी मेहनत की कमाई की बर्बादी देखना हो तो नगर निगम के अधीन कार्य करने वाले स्मार्ट सिटी महकमें से बेहतर और कोई जगह नहीं हो सकती। ताजा मामला कचहरी अम्बेडकर चौराहे का है, जहाँ कुछ माह पहले स्मार्ट सिटी ने सड़क का फुटपाथ घेर कर एक लंबा चौड़ा निर्माण कराया, इसे पब्लिक फैसिलिटी सेंटर का नाम दिया गया। बताया गया कि इस सेंटर पर जनता को सुविधा प्रदान करने के लिये एक आफिस बनेगा।
इस आफिस से जनता अपने रोजमर्रा के कामकाज के सिलसिले में जरूरी सूचनाएं प्राप्त कर सकेंगी। वैसे तो यह निर्माण नियम विरुद्ध था क्योंकि नियमत: सड़क की पटरी या फुटपाथ पैदल चलने के लिये बनी होती है। शहर में ज्यादातर फुटपाथ अतिक्रमणकारियों ने निगल लिया है। बची खुची कसर स्मार्ट सिटी पूरी कर रहा है। खैर जब फैसिलिटी सेंटर बना तो पब्लिक ने यह सोचकर फुटपाथ से समझौता कर लिया कि चलो फुटपाथ नहीं बना तो क्या हुआ दफ्तरों में रोज की भागदौड़ से मुक्ति मिलेगी। लेकिन निर्माण के महीनों बाद जब तथाकथित फैसिलिटी सेंटर या सुविधा केंद्र में जब चाय की दुकान खुली देखी तो जनता ने सिर पीट लिया। लोगों का कहना है कि अगर चाय की दुकान ही खोलना था तो लाखों रुपया खर्च कर इतना तामझाम फैलाने की क्या जरूरत थी। यह कार्य तो किसी गुमटी में भी हो सकता था।
यह पहला मौका नहीं है जब स्मार्ट सिटी ने बेसिर पैर की योजना को अंजाम दिया है। इसके पहले मैदागिन से गोदौलिया तक सड़क के किनारे पाथवे बनाकर तोड़ा जा चुका है। नदेसर तालाब के सुंदरीकरण में बाधक अतिक्रमण को हटाए बिना करोडों खर्च कर दिए गए। शहर में इसी तरह की उटपटांग अनेक योजनाएं चल रही हैं जिसमे जनता की गाढ़ी कमाई का पैसा पानी की तरह बहाया जा रहा है।