मुहम्मदाबाद की चिंगारी से सपा में सियासी आग


(अजीत सिंह )
गाजीपुर (काशीवार्ता)। मुहम्मदाबाद विधानसभा इकाई के कार्यकतार्ओं में भड़की चिंगारी अब सपा में शोला का रूप ले चुकी है। जिससे पूरे जिले की सपा में सियासी आग लगी हुई है। विधानसभा के 150 पदाधिकारियों का मुहम्मदाबाद विधानसभा अध्यक्ष के खिलाफ आए इस्तीफा से सपा में हलचल कम, हैरानी अधिक जताई जा रही है। इस मामले की जानकारी अखिलेश को होने के बाद यह तय माना जा रहा है कि सपा जिलाध्यक्ष रामधारी सहित अन्य पर कभी भी कार्रवाई की तलवार लटक सकती है। यही नहीं सपा जिलाध्यक्ष की रेस में चंद्रिका यादव, गोपाल यादव मनिहारी एवं मुन्नन यादव के नामों की चर्चा भी कचहरी की सियासी गलियों में शुरू हो गई है।
बसपा सांसद अफजाल अंसारी के बड़े भाई एवं मुहम्मदाबाद के पूर्व विधायक सिबगतुल्लाह अंसारी एवं उनके बेटे मन्नू अंसारी के सपा में आने के एक माह बाद मुहम्मदाबाद विधानसभा की इकाई में बड़ा परिवर्तन हुआ। सपा जिलाध्यक्ष रामधारी यादव ने हरिनरायण यादव को हटाकर गोवर्धन यादव को विधानसभा अध्यक्ष बना दिया। यही नहीं कई अन्य पदाधिकारी भी बदले गए। इसको लेकर मुहम्मदाबाद की सियासत में बड़ी प्रतिक्रिया सामने आई। यही नहीं जिला कार्य समिति में भी अंसारी बंधुओं के खास लोगों को जगह दी गई। इसके बाद मंगलवार को मुहम्मदाबाद के सपा से पूर्व प्रत्याशी राजेश राय की मौजूदगी में 150 सपा के पदाधिकारियों ने अपना इस्तीफा लिखित रूप से जिलाध्यक्ष को भेज दिया। इस इस्तीफे ने सपा में जैसे भूचाल ला दिया हो। इस पूरी रणनीति के पीछे राजेश राय का मास्टर स्ट्रोक माना जा रहा है। वहां यह मांग उठी कि अगर अंसारी बंधुओं को मुहम्मदाबाद से सपा चुनाव लड़ाना चाहती है तो राजेश राय को जहूराबाद से मैदान उतारे। जहूराबाद में पार्टी को इसका यह फायदा मिलेगा कि 15 से 20 हजार की संख्या वाले भूमिहार मतदाताओं का रूझान सपा की तरफ होगा। साथ ही अन्य विधानसभाओं में भी इसका फायदा मिलेगा। क्योंकि राजेश राय के अलावा भूमिहार समाज का सपा में कोई बड़ा नेता नहीं है। वैसे भी राजेश राय पुराने समाजवादियों में गिने जाते हैं। खैर छोड़िए! मुहम्मदाबाद की यह आग अब जिले के सपाइयों में तूफान की तरह दिखाई दे रही है। एक बात और छनकर आ रही है। कि अब रामधारी के सिर से जंगीपुर विधायक का भी हाथ हट गया है। यानि डा. वीरेंद्र अंदरखाने रामधारी से नाराज भी चल रहे हैं। ऐसा माना जा रहा है कि जिला पंचायत सदस्यों की उम्मीदवारी में सिर्फ डा. वीरेंद्र को बदनाम किया गया। जिसके कारण वीरेंद्र की कई जगह किरकिरी हुई। वह भी अब चाहते हैं कि विवादित हो चुके रामधारी को हटाकर किसी ऐसे नए चेहरे को सपा जिलाध्यक्ष की कमान सौंपी जाए, जो 2022 में सपा की सातों सीटों पर जीत का झंडा लहरा सके। हालांकि अभी जिलाध्यक्ष को हटाने को लेकर सपा मुख्यालय से कोई संदेश जिले में नहीं आया है। फिर भी जिलाध्यक्ष की रेस में समाजवादी शिक्षक सभा के राष्ट्रीय सचिव चंद्रिका यादव, गोपाल यादव और मुन्नन यादव के अलावा कुछ नए चेहरों की चर्चा शुरू हो गई है। पार्टी के अंदरखाने यह भी कहा जा रहा है कि सदर विधानसभा में उम्मीदवारों की भारी फौज को देखते हुए ही पूर्व प्रत्याशी राजेश कुशवाहा को संगठन में प्रदेश सचिव की जिम्मेदारी देकर जिले के कुशवाहा वोटों पर निशाना साधने की तैयारी में सपा जुटी हुई है। इसलिए अब सदर विधानसभा से पूर्व सांसद राधेमोहन सिंह की उम्मीदवारी काफी मजबूत मानी जा रही है।