तेल की बढ़ती कीमतों के चलते लौटे साइकिल के दिन


विशेष प्रतिनिधि
वाराणसी(काशीवार्ता)। कहावत है हर समस्या के पीछे समाधान भी छिपा होता है। आजकल ऐसा ही कुछ परिवहन के क्षेत्र में हो रहा है। जब तेल की कीमतों ने आमजनता पर कहर ढाया तो परिवहन का सबसे सस्ता साधन साइकिल संकटमोचक बन कर उभरी है। कभी युवाओं, छात्रों और मजदूरों की हमसफर साईकल आज अमीरों और पेशेवर वर्ग की पहली पसंद बन गयी है।जानकर ताज्जुब होगा कि बड़ी संख्या में पेशेवर जिनमे डॉक्टर, इंजीनियर, प्रोफेसर ,पत्रकार और व्यापारी वर्ग के लोग शामिल हैं, आज साईकल की सवारी कर रहे हैं। वे न सिर्फ सबेरे की सैर,शाकभाजी की खरीदारी,क्लब, जिम आदि जाने में साईकल का उपयोग कर रहे हैं बल्कि अपने कार्यस्थल जाने में भी साईकल को प्राथमिकता दे रहे हैं।
यही वजह है कि हाल के दिनों में साईकल की बिक्री में जबरदस्त उछाल आया है, बिक्री लगभग 50 प्रतिशत बढ़ चुकी है। इनमें भी उन साइकिलों की बिक्री ज्यादा बढ़ी है जो थोड़ी फैंसी और महंगे दाम की है। वैसे तो हीरो,एटलस, हरक्यूलिस जैसे ब्रांड की साइकिलें 5 हजार कीमत से शुरू हो जाती हैं लेकिन 10-15 हजार की साइकिलें बिक्री के रिकार्ड तोड़ रही हैं। इनमें विदेशी ब्रांड फायर फॉक्स,गैंग बिटविन आदि की साइकिलें धूम मचा रही हैं। इन्हें हीरो,नाइंटी वन हरक्यूलिस जैसी भारत में निर्मित साइकिलें कड़ी टक्कर दे रही हैं।आमतौर पर आजकल मार्केट में दो तरह की साइकिलें बिक रही हैं। पहली है स्पोर्ट्स और दूसरी चौड़े टायर वाली माउंटेन बाइक। कंपनियों की दौड़ में कुछ पुरानी दिग्गज कंपनियां जिसमे रैले,रोडमास्टर आदि शामिल हैं पिछड़ गयीं और बंद हो गयीं। साइकिलों की बिक्री के पीछे तेल की बढ़ती कीमतों के अलावा शहर में ट्रैफिक जाम और स्वास्थ्य के प्रति जागरूकता भी प्रमुख कारण है। साइकिलें धुआं नहीं छोड़ती और पर्यावरण के भी अनुकूल हैं।
साइकिलिंग स्वास्थ्य और पर्यावरण के अनुकूल: नीलू मिश्रा


वेटरन एथलीट नीलू मिश्रा साईकल को बरसों से प्रमोट कर रही हैं। बताती हैं कि वे सिगरा स्थित आवास से खजूरी स्थित आफिस भी साईकल से ही जाती हैं। इसके अलावा वे दोस्त मित्रों के साथ बीएचयू,गंगा घाट सहित अन्य स्थानों पर भी साईकल से ही जाना पसंद करती हैं। इससे न सिर्फ स्वास्थ्य ठीक रहता है बल्कि पर्यावरण संरक्षण भी होता है।
बैटरी वाली साइकिलों ने भी रफ्तार पकड़ी
बिक्री के मामले में बैटरी वाली साइकिलें भी रफ्तार पकड़ रही हैं। यह रुपये25 हजार में उपलब्ध हैं। जो लोग 15,20 किलोमीटर रोज चलते हैं, उनकी साल भर में कीमत वसूल हो जा रही है। बैटरी वाली साइकिलों की बिक्री पिछले कुछ महीनों में 50-60 फीसदी बढ़ गयी है। पहले महीने भर में औसतन एक दुकान से 3,4 बैटरी वाली साइकिलें बिकती थीं अब 15,20 आराम से बिक जाती हैं।
कीमतें बढ़ने के बावजूद धड़ल्ले से बिक रहीं साइकिलें
प्रमुख साईकल व्यवसायी और मलदहिया स्थित अग्रवाल साईकल स्टोर के अधिष्ठाता रोहित अग्रवाल बताते हैं कि आजकल तमाम कंपनियां साईकल फाइनेंस के क्षेत्र में उतर गयी हैं। वे बताते हैं कि कच्चे माल और ट्रांसपोर्ट की कीमतों में बढ़ोतरी के चलते साइकिलों की कीमत में भी 200 से 250 रुपयों की बढ़ोतरी हुई है। बावजूद इसके साइकिलें धड़ल्ले से
बिक रही हैं।