तीर्थं स्थलों को पर्यटन का स्वरुप देना गलत


वाराणसी (काशीवार्ता)। सनातन धर्म परम्परा के अंतर्गत तीर्थ पुरोहिती परम्परा के स्तंभ, मुख्य संरक्षण के केंद्र “गंगा सभा हरिद्वार” के तत्वावधान में अखिल भारतीय तीर्थ पुरोहित महासभा के राष्ट्रीय कार्यकारिणी एवं पदाधिकारियों की बैठक में बद्रीनाथ देवस्थानम बोर्ड और मंदिरों के अधिग्रहण का प्रबल व पुरजोर विरोध किया गया। शुक्रवार को “गंगा सभा हरिद्वार” के मुख्य कार्यालय में हरिद्वार, प्रयागराज, काशी, उज्जैन, बैद्यनाथ धाम, नासिक, त्रयंबकेश्वर, भीमाशंकर, कुरुक्षेत्र, बिठूर आदि तीर्थों से पधारे तीर्थ पुरोहित महासभा के राष्ट्रीय पदाधिकारियों का अंगवस्त्रम एवं माल्यार्पण कर स्वागत किया गया। इस दौरान हर की पैड़ी स्थित घाट पर माँ गंगा का सविधिक पूजन व आरती की गई। इसके बाद हरिद्वार के भूपत वाला स्थित सतपाल महाराज के राधा कृष्ण आश्रम में राष्ट्रीय पदाधिकारियों की बैठक आहूत की गई। बैठक में सर्वप्रथम बद्रीनाथ धाम, केदारनाथ धाम, गंगोत्री, यमुनोत्री चार धाम देवस्थानम बोर्ड पर चर्चा हुई। चार धाम के तीर्थ पुरोहित अध्यक्ष कृष्णकांत नौटियाल ने हुए कहा कि बोर्ड का निर्धारण करने से अनादिकाल से चली आ रही है तीर्थ पुरोहिती व्यवस्था को विनष्ट करने का कुचक्र रचा जा रहा है, जिसका प्रबल विरोध किया जा रहा है। अन्य पुरोहितों के विचारों के पश्चात महासभा के राष्ट्रीय अध्यक्ष समाजसेवी पं महेश चंद्र पाठक ने कहा कि हम सरकार से माँग करते हैं कि देश के सभी तीर्थ स्थलों का तीर्थोचित विकास किया जाए। हम विकास के विरोधी नहीं हैं, लेकिन तीर्थों को पर्यटन का स्वरूप देना गलत है। भारतीय संस्कृति में देश में स्थापित सभी तीर्थों का अपना महत्व है। उन्हें पर्यटन का स्वरूप प्रदान करना असूझ क्रिया है, जो कि पूर्णतया गलत है। श्री पाठक ने कहा कि चार धाम देवस्थानम बोर्ड का महासभा विरोध करती है और इसके लिए प्रधानमंत्री जी से मिलकर अपना पक्ष व सुझाव रखा जाएगा। बैठक में प्रदीप झाँ, रमेश सिखौला, दुष्यंत झाँ, पं नवीन नागर, पं कन्हैया त्रिपाठी,पं सतीश शुक्ला, दिलीप शुक्ला, पं सुरेश भारद्वाज सहित अन्य तीर्थों से आए राष्ट्रीय पदाधिकारियों ने अपने विचार रखें। हरिद्वार पधारे सभी सम्मानित तीर्थ पुरोहितों का स्वागत सभा के वरिष्ठ महामंत्री श्रीकांत वशिष्ठ ने किया।