विरोध देख नहीं पहुंचा प्रशासन का बुलडोजर


वाराणसी (काशीवार्ता)। महात्मा गांधी के आध्यात्मिक उत्तराधिकारी आचार्य विनोबा भावे और लोकनायक जयप्रकाश नारायण की विरासत राजघाट स्थित सर्व सेवा संघ के भवनों पर प्रशासन के बुलडोजर चलाने की सूचना पर शुक्रवार का पहुंचे कांग्रेस समेत विभिन्न दलों के नेताओं व कार्यकतार्ओं ने जमकर विरोध किया। प्रशासन ने इस भूमि को रेलवे की सम्पत्ति बताते हुए उस पर हुए निर्माण को अवैध कब्जा करार दिया था। इसके साथ ही सुबह नौ बजे बुलडोजर से ध्वस्त करने का अल्टीमेटम दिया गया था। इस मामले में सर्व सेवा संघ की ओर से हाईकोर्ट में मामला विचाराधीन है। मामल में हाईकोर्ट ने आज ही सुनवाई के लिए समय निर्धारित किया था। गौरतलब है कि सर्व सेवा संघ कार्यालय, भवन आदि को बचाने के लिए काफी दिनों से आंदोलन चल रहा है। पिछले दिनों कांग्रेस के राष्ट्रीय अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे, राहुल गांधी और प्रियंका गांधी ने प्रशासन की कार्रवाई पर कड़ी आपत्ति दर्ज कराई थी। बता दें कि सर्व सेवा संघ और उत्तर रेलवे के बीच जमीन के मालिकाना हक पर चल रहे विवाद में जिलाधिकारी एस राजलिंगम ने पिछले दिनों सुनवाई के बाद रेलवे के हक में फैसला दिया है। उन्होंने सर्व सेवा संघ के निर्माण को अवैध करार दिया और जमीन को उत्तर रेलवे की संपत्ति मानी गई। इसके बाद सर्व सेवा संघ के अवैध निर्माण को ध्वस्त करने की कार्रवाई के लिए उत्तर रेलवे प्रशासन ने 30 जून की सुबह नौ बजे समय नियत किया गया था। उधर, सर्व सेवा संघ से अतिक्रमण हटाने के लिए कार्रवाई की तय समय सीमा से पहले सर्व सेवा संघ, कांग्रेस से लगायत तमाम संगठनों के लोग बनरस पहुंचने लगे। सुबह कांग्रेस के प्रांतीय अध्यक्ष व पूर्व मंत्री अजय राय, सपा के पूर्व मंत्री सुरेंद्र पटेल, कांग्रेस के जिला अध्यक्ष राजेश्वर पटेल, महानगर अध्यक्ष राघवेंद्र चौबे, सतनाम सिंह समेत आसपास के चार जिलों के कांग्रेसी पहुंच गये। धरना-प्रदर्शन शुरू हो गया। लेकिन दोपहर तक प्रशासन का बुलडोजर नही पहुंचा।