रामनगर को नगर निगम में मिलाने का तीव्र्र विरोध


रामनगर, वाराणसी (काशीवार्ता)। पिछले कुछ दिनों से रामनगर को नगर निगम वाराणसी में विलय करने के सरकारी प्रयास का नगर में जम कर विरोध हो रहा है। तमाम सामाजिक संगठनों और विपक्षी पार्टियों ने इसका विरोध करते हुए सरकार से इस प्रस्ताव को अविलम्ब वापस लेने की मांग की है। समाजवादी पार्टी के एक प्रतिनिधिमंडल ने भाजपा प्रदेश उपाध्यक्ष और विधान परिषद सदस्य लक्ष्मण आचार्य से मिलकर उन्हें एक विरोध पत्र भी दिया। पत्रक देने वालो में श्यामलाल यादव सुजीत सिंह,संजय यादव, डॉ. अजीत यादव,मणि शर्मा, एडवोकेट आदि शामिल रहे। नगरपालिका के अनेक सभासद और अध्यक्ष रेखा शर्मा ने भी इसका खुलकर विरोध करते हुए सरकार को पत्रक दिया है। इसे लेकर धरना,प्रदर्शन भी हों रहा है। सबका एकमत है कि रामनगर की ऐतिहासिकता, पौराणिकता और यहाँ की विशिष्टता को देखते हुए इसका अलग वर्तमान स्वरूप ही कायम रहना चाहिए। उनका कहना है कि बनारस स्टेट के समय वाराणसी सहित अनेक जिलों का संचालन यही से होता था। यहां की रामलीला जहाँ अपनी विशिष्ट शैली के लिए विश्व प्रसिद्ध है,वही महर्षि वेदव्यास की यह तपस्थली भी रही है। पूर्व प्रधानमंत्री राष्ट्र रत्न लालबहादुर शास्त्री का आवास भी यही है। तमाम शैक्षणिक संस्थाएं, चिकित्सालय, आहार विहार केंद्र भी यही स्थित है। अपनी भौगोलिक बनावट व गंग जमुनी तहजीब के लिए भी यह नगर जाना जाता है। आजतक यहां किसी प्रकार का कोई साम्प्रदायिक तनाव भी सामने नही आया। बनारस स्टेट के मर्ज के समय भी इस नगर को कुछ विशेष दर्जा दिया गया था। इन्ही बातो को लेकर सभी का कहना है कि इसे नगर पालिका के रूप में ही रहने दिया जाय। स्थानीय नेताओं और अनेक संगठनों ने सरकार से इस पर पुनर्विचार करने की मांग करते हुए चेतावनी दी है कि यदि सरकार ने मनमाने ढंग से नगर को निगम में मिलाने का निर्णय नही बदला तो स्थिति विस्फोटक हो जाएगी, जिसकी जिम्मेदारी सरकार व प्रशासन की होगी।