जॉनसन एण्ड जॉनसन को राहत, अब नहीं देना पड़ेगा 230 करोड़ रुपये का जुर्माना


नई दिल्ली। दिल्ली उच्च न्यायालय ने बुधवार को राष्ट्रीय मुनाफाखोरी-रोधी प्राधिकरण (नापा) के जॉनसन एण्ड जॉनसन को अवैध रूप से हासिल 230 करोड़ रुपये की राशि जमा कराने के आदेश को स्थगित कर दिया। नापा के मुताबिक कंपनी ने जीएसटी के तहत 306 वस्तुओं पर शुल्क दर घटाये जाने का लाभ उत्पादों के दाम घटाने के जरिये आगे जनता तक नहीं पहुंचाया। इनमें शिशुओं के काम आने वाले उत्पाद भी शामिल हैं। च्च न्यायालय के न्यायमूर्ति विपिन सांघी और संजीव नरूला की पीठ ने राष्ट्रीय मुनाफाखोरी- रोधी प्राधिकरण और केन्द्र सरकार को कंपनी के खिलाफ किसी तरह की जुमार्ने की कार्रवाई करने से दूर रहने को कहा है। पीठ ने कहा कि शुरूआती नजर में ऐसा लगता है कि नापा ने मुनाफाखोरी का पता लगाने के लिये जो तरीका अपनाया है वह ह्यह्यदोषपूर्ण” है। न्यायालय ने इस मामले में केन्द्र सरकार, नापा और मुनाफाखोरी- रोधी महानिदेशक को नोटिस भेजकर उनसे कंपनी की याचिका पर अपनी स्थिति स्पष्ट करने को कहा है। कंपनी ने याचिका में कथित तौर पर हासिल किये गये मुनाफे की राशि को उपभोक्ता कल्याण कोष में जमा कराने के आदेश को चुनौती दी है। नापा के 23 दिसंबर के आदेश को खारिज करने के साथ ही जॉनसन एण्ड जॉनसन (जे एण्ड जे) ने उसे 27 जनवरी को भेजे गये जुमार्ने के नोटिस को भी खारिज करने की गुहार अदालत से लगाई है। कंपनी ने केन्द्रीय जीएसटी कानून के कुछ प्रावधानों और नियमों को भी असंवैधानिक घोषित करने का न्यायालय से आग्रह किया है। बहरहाल, न्यायालय ने नापा के 23 दिसंबर के आदेश को स्थगित कर दिया और सरकार तथा प्राधिकरण को कंपनी के खिलाफ अगली सुनवाई तक जुमार्ने की प्रक्रिया को आगे बढ़ाने से रोक दिया है। मामले में अगले सुनवाई 24 सितंबर को तय की गई है। नापा ने 23 दिसंबर के अपने आदेश में कहा कि जॉनसन एण्ड जॉनसन ने नवंबर 2017 से लेकर दिसंबर 2018 के बीच कर दरों में की गई कटौती का लाभ उपभोक्ताओं को नहीं पहुंचाया है। ऐसे में कंपनी ने 230 करोड़ 40 लाख 74 हजार 132 रुपये का मुनाफा कमाया है। कंपनी का यह कदम केन्द्रीय माल एवं सेवाकर (सीजीएसटी) कानून के नियमों का उल्लंघन है। सरकार ने 15 नवंबर 2017 से जे एण्ड जे द्वारा विनिर्मित बेबी पाउडर, क्रीम सहित कई उत्पादों पर जीएसटी दर को 28 प्रतिशत से घटाकर 18 प्रतिशत कर दिया। नापा ने कंपनी को दाम नहीं घटाने पर कमाये गये मुनाफे को 18 प्रतिशत ब्याज के साथ चुकाने का निर्देश भी दिया है। दूसरी तरफ कंपनी का दावा है कि उसने कर कटौती का लाभ उपभोक्ताओं को दिया है और उस पर लगाये गये मुनाफाखोरी के आरोप निराधार हैं।