श्री विश्वेश्वर का शनिवार को करेंगे पूजन, लगायेंगे भोग : अविमुक्तेश्वरानंद


वाराणसी (काशीवार्ता)। विगत वैशाख पूर्णिमा, दिन सोमवार को काशी में शताब्दियों से तिरोहित श्रीविश्वेश्वर ज्योतिर्लिंग के पुन: प्रकट होने से पूरे देश के सनातन धर्मावलम्बियों में खुशी का माहौल है। करोड़ों लोग प्रभु के दर्शन-पूजन के लिये उत्सुक हैं और इसके लिए काशी की यात्रा करना चाहते हैं। उक्त बातें आज यहां श्री विद्यामठ केदारघाट में पत्रकारों से बातचीत करते हुए अविमुक्तेश्वरानन्द सरस्वती ने कही। उन्होंने कहा कि प्रभु के प्रकट होते ही दर्शन-स्तुति-पूजा और भेंट चढ़ाने का नियम है।शास्त्रों में प्रभु के प्रकट होते ही दर्शन करके उनकी स्तुति करने का, रागभोग, पूजा-आरती कर भेंट चढ़ाने का नियम है। पूजा के लिये न्यायालय से अनुमति माँगी गई, जिनमें शृंगार गौरी और आदि विश्वेश्वर सम्बन्धित मुकदमों के अनेक पक्षकारों सहित पूज्यपाद शंकराचार्य की शिष्याएँ अविरल गंगा तपस्विनी साध्वी पूर्णाम्बा और शारदाम्बा तथा काशी विश्वनाथ मंदिर के महन्त परिवार के सदस्य भी थे, पर दुर्भाग्यवश न्यायालय ने इस मामले की गम्भीरता और एक आस्तिक हिन्दू के नजरिये को नहीं समझा और आवेदनों की सुनवाई के लिए अब 4 जुलाई की तारीख लगा दी है। जबकि पूजा और रागभोग एक दिन भी रोका नहीं जाना चाहिए। उन्होंने कहा कि शास्त्रों में तो यह बात बताई ही गई है कि देवता को एक दिन भी बिना पूजा के नहीं रहने देना चाहिए। तदनुसार भारत के संविधान में भी यह स्पष्ट रूप से उल्लिखित है कि कोई भी प्राण प्रतिष्ठित देवता 3 वर्ष के बालक के समकक्ष होते हैं। जिस प्रकार 3 वर्ष के बालक को बिना स्नान भोजन आदि के अकेले नहीं छोड़ा जा सकता, उसी प्रकार देवता को भी राग भोग आदि उपचार पाने का संवैधानिक अधिकार है।
शिवलिंग को फव्वारा बताकर मुसलमानों ने हिन्दुओं का किया समर्थन
शास्त्रों में भगवान शिव के अतिरिक्त अन्य ऐसे कोई देवता नहीं है जिनके सिर से जलधारा निकलती हो, जो मनुष्य सनातन संस्कृति को न जानते, भगवान शिव के स्वरूप एवं उनके माहात्म्य को नहीं जानते वे किसी के सिर से पानी निकलते हुए देखकर उसे फव्वारा ही तो कहेंगे। मुसलमान भगवान शिव को नहीं जानते और न ही उनको मानते हैं। इस्लाम में देवता आदि की परिकल्पना दूर दूर तक नही है। ऐसे में वे सभी अबोध हमारे भगवान शिव को फव्वारा नाम से कहकर स्वयं यह सिद्ध कर रहे हैं कि वे ही भगवान शिव हैं। आदि विश्वेश्वर ज्योतिर्लिंग भगवान के पूजन के लिए शनिवार का दिन अत्यन्त उत्तम है। अत: इस दिन शुभ मुहूर्त में हम स्वयं पूजा पद्धति को जानने वाले विद्वानों एवं पूजा सामग्री के साथ भगवान आदि विश्वेश्वर के पूजन के लिए जाएंगे।