मरीजों में बढ़ रही बीमारी से लड़ने की ताकत


वॉशिंगटन। मोडेर्ना कंपनी की कोविड-19 वैक्सीन ट्रायल के अपने पहले चरण में सफल रही है। परिणाम में सामने आया है कि इस दवा से मरीजों में रोग प्रतिरोधक क्षमता बढ़ रही है। अमेरिकी शोधकर्ताओं के मुताबिक पहले चरण में 45 स्वस्थ स्वयंसेवकों पर यह ट्रायल किया जा रहा है। ट्रायल के तौर पर जिन लोगों को वैक्सीन की दो खुराक दी गई, उनमें वायरस को मारने वाले एंटीबॉडी उच्च मात्रा में पाए गए हैं। न्यू इंग्लैंड जर्नल में छपे शोध के मुताबिक कोविड-19 से ठीक होने वाले इन मरीजों से औसतन ज्यादा एंटीबॉडी बनी है। अच्छी बात यह है कि किसी भी स्वंयसेवक में किसी तरह का साइड इफेक्ट नहीं देखा गया है। हालांकि इनमें थकावट, सरदर्द, ठंड लगना, मांसपेशियों में दर्द और इंजेक्शन वाली जगह पर दर्द जैसे लक्षण देखे गए। ऐसा ज्यादातर उन लोगों में देखा गया, जिन्होंने दो या दो से ज्यादा खुराक ली। जानकारों का कहना है कि वैक्सीन की जरूरत इसलिए है ताकि इस महामारी को खत्म किया जा सके, कोरोना वायरस की वजह से करोड़ों लोग संक्रमित हैं और साढ़े पांच लाख से ज्यादा लोगों की मौत हो चुकी है।
मोडेर्ना पहली ऐसी कंपनी है, जिसने कोरोना वैक्सीन का मानव परीक्षण 16 मार्च को शुरू किया था। वायरस के जेनेटिक सीक्वेंस जारी होने के 66 दिन बाद ही मोडेर्ना ने कोरोना की वैक्सीन बना ली थी और उसका परीक्षण शुरू कर दिया था। नेशनल इंस्टीट्यूट आॅफ एलर्जी एंड इंफेक्शियस डिसीज के निदेशक डॉ. एंटॉनी फोसी ने इसे अच्छी खबर बताया है। उन्होंने कहा कि वैक्सीन का कोई साइड इफेक्ट नहीं हुआ है, इससे ऊंचे स्तर की एंटीबॉडी बनेगी। डॉ. एंटॉनी ने कहा कि अगर आपकी वैक्सीन ठीक हुए मरीजों की तुलना में अधिक प्रतिक्रिया पैदा कर सकता है तो यह जीत की बात है। इस घोषणा के बाद मोडेर्ना के शेयर में 15 फीसदी का उछाल देखा गया। अमेरिकी सरकार मोडेर्ना वैक्सीन को समर्थन दे रही है। इसके लिए सरकार ने करीब 50 अरब डॉलर दिए हैं।