विनोद अग्रवाल को भाजपा बनाएगी चेयरमैन प्रत्याशी!


(अजीत सिंह)
गाजीपुर (काशीवार्ता)। निकाय चुनाव की तैयारियों के बीच नगर पालिकाओं में चेयरमैन पद के आरक्षण से पर्दा उठने के बाद नगर पालिका गाजीपुर की सर्वाधिक चर्चा हो रही है। सत्ताधारी दल से चेयरमैन रहीं सरिता अग्रवाल के पति विनोद अग्रवाल को भाजपा तीसरी बार मौका देगी, या फिर नए चेहरे पर दांव लगाएगी। इसके साथ ही भाजपा के मुकाबले विवेक सिंह शम्मी मैदान में होंगे, इन सब को लेकर अटकलों का बाजार गरम है। वैसे शम्मी के खिलाफ यदुवंशियों की एक लाबी लगातार जंगीपुर विधायक एवं सदर विधायक जैकिशुन साहू के संपर्क में है और साहू का बिरादरी प्रेम इस समय सिर चढ़कर बोल रहा है।


नगर पालिका गाजीपुर पर करीब ढाई दशक से भाजपा का कब्जा है। सपा के लाख चाहने के बाद भी यहां पर भाजपा का ही प्रत्याशी विजयी घोषित होता आया है। यहां पर वैश्य वोटों की संख्या भाजपा को जीत का स्वाद हमेशा चखाती रही है। इधर 2012 और 2022 तक पूर्व चेयरमैन विनोद अग्रवाल के परिवार का कब्जा रहा। वह जहां 2012 से 2017 के बीच चेयरमैन रहे, जबकि महिला सीट होने पर उन्होंने अपनी पत्नी सरिता अग्रवाल को मैदान में उतार दिया। वह भी चेयरमैन बन गई। मगर दस वर्ष के कार्यकाल के दौरान विनोद अग्रवाल पर भ्रष्टाचार का खूब कीचड़ उछला। यही नहीं उनकी पत्नी पर भी भ्रष्टाचार के आरोप लगे। जब विकास कार्य प्रभावित हुआ तो शासन को हस्तक्षेप करके टेंडर कराना पड़ा। स्वकर की आग में विनोद अग्रवाल की घोषणा जल गई। कई ऐसे मौके आए जब विनोद अग्रवाल की वजह से भाजपा की खूब किरकिरी हुई। अब एक बार फिर गाजीपुर की सीट अनारक्षित हो गई है। ऐसे में विनोद अग्रवाल ने अपनी दावेदारी फिर ठोंकी है। उनकी दावेदारी पर कैंची चलाने के लिए प्रिंस अग्रवाल, श्रीप्रकाश केसरी, संतोष गुप्ता, संजीव गुप्ता की दावेदारी मजबूत मानी जा रही है। सबसे महत्वपूर्ण है कि अंदरखाने एलजी की लाबी अग्रवाल खानदान से नाराज है। अगर यह सीट पिछड़ी होती तो संजीव गुप्ता भाजपा से उम्मीदवार हो जाते तो आश्चर्य किसी को नहीं होता। इन नामों के बावजूद विनोद अग्रवाल की सियासी प्रोफाइल बड़ी है। मगर इनके साथ भ्रष्टाचार का जो चरखा चल रहा है वह भाजपा को परेशान कर रहा है। भाजपा के मुकाबले अब तक दो चुनावों में सपा एवं एक बार निर्दल उम्मीदवार के रूप में सामाजिक कार्यकर्ता विवेक सिंह शम्मी मैदान में रह चुके हैं। शम्मी शहर के बड़े सामाजिक कार्यकर्ता हैं और इनके नाना विश्वनाथ सिंह गहमरी सांसद रह चुके हैं। हालांकि शम्मी के अलावा समीर सिंह, अभिनव सिंह, आमिर अली, दिनेश यादव, अहमर जमाल सहित कुछ ऐसे नाम हैं जो शम्मी के टिकट लेने में बाधक बने हुए हैं। सूत्रों की मानें तो शम्मी के साथ कुछ ऐसी ताकतें लगी हैं जो उनकी राह सपा में आसान कर रही हैं। इन तमाम चचार्ओं के बीच एक बात यह उभर कर सामने आई है कि भाजपा के खिलाफ दस वर्ष से अकेले नगर में शम्मी ने ही लड़ाई लड़ी थी। वैसे नगर की जनता विनोद अग्रवाल के भ्रष्टाचार का घड़ा फोड़ने के लिए तैयार है। सपा जिलाध्यक्ष रामधारी यादव ने बताया कि सभी संभावित उम्मीदवारों से 12 दिसंबर के बाद आवेदन मांगें गए हैं। उधर बसपा से एक बार फिर शरीफ राईनी के मैदान में आने की उम्मीद दिखाई दे रही है।