क्या हैं मिसकैरेज के लक्षण? NHS ने बताया- 8 में से एक गर्भवती महिला के साथ होती है ये समस्या


प्रेग्नेंसी के 24 सप्ताह के भीतर गर्भ में पल रहे भ्रूण का नष्ट होना मेडिकल भाषा में मिसकैरेज कहलाता है. यह स्थिति माता-पिता दोनों के लिए किसी सदमे से कम नहीं होती है. मिसकैरेज के बारे में कुछ चीजों को समझना बहुत जरूरी है. जैसे, इसके लक्षण क्या होते हैं? या लोगों में इसकी समस्या क्यों होती है?

प्रेग्नेंसी के पहले तीन-चार महीने में भ्रूण के नष्ट होने को मिसकैरेज कहते हैं. मिसकैरेज यानी गर्भपात के कई कारण हो सकते हैं, लेकिन इसके लिए मां को गलत या जिम्मेदार ठहराना सही नहीं है. ज्यादातर मामलों में तो मां को मिसकैरेज के कारणों का पता ही नहीं चल पाता है, जो कि इस घटना को और ज्यादा भयावह बना देती है.

आमतौर पर प्रेग्नेंसी के पहले तीन महीनों में मिसकैरेज अनबॉर्न बेबी (अजन्मा बच्चा) के साथ हुई समस्या का एक परिणाम होता है. नेशनल हेल्थ सर्विस (NHS) के मुताबिक, इसके लिए भ्रूण में असामान्य क्रोमोज़ोम्स को जिम्मेदार माना जाता है. दरअसल भ्रूण में कम या बहुत ज्यादा क्रोमोज़ोम्स की वजह से मिसकैरेज होता है. इस कंडीशन में गर्भ पल रहा भ्रूण पूरी तरह से विकसित नहीं हो पाता है.

मिसकैरेज के तकरीबन दो से पांच प्रतिशत मामलों में जेनेटिक्स को दोषी ठहराया जाता है. कई बार पार्टनर के असामान्य क्रोमोज़ोम्स के बारे में लोगों को जानकारी ही नहीं होती है. इसके चलते प्लेसेंटा के विकास में समस्या हो सकती है. भ्रूण में खून और पोषक तत्वों की कमी हो सकती है. यदि मिसकैरेज तीन महीने की प्रेग्नेंसी के बाद हो तो कमजोर गर्भाशय, कोई इंफेक्शन या सेक्सुअल ट्रांसमिशन डिसीज, गर्भाशय का आकार, PCOS या फूड प्वॉइजनिंग इसकी वजह हो सकते हैं.

एक्सपर्ट कहते हैं कि बार-बार गर्भपात या देरी से गर्भपात के कई कारण हो सकते हैं. ब्लड क्लॉटिंग डिसॉर्डर, थायरॉइड की समस्या, सर्वाइकल से कमजोरी या हमारी इम्यून सेल्स भी प्रजनन क्षमता को प्रभावित कर सकते हैं. मिसकैरेज का दुख झेलने वाली बहुत सी महिलाओं भविष्य में मां बनने का सौभाग्य मिलता है. लेकिन अगर किसी महिला को बार-बार या ज्यादा समय होने के बाद गर्भपात की समस्या होती है तो उन्हें इसकी जांच जरूर करवानी चाहिए.

45 साल के बाद होती है ज्यादा दिक्कत
NHS की एक रिपोर्ट के मुताबिक, मिसकैरेज की समस्या बहुत सामान्य है. आठ में से एक गर्भवती महिला मिसकैरेज का दुख झेलती हैं. कई महिलाओं का मिसकैरेज तो उनके गर्भवती होने का पता चलने से पहले ही हो जाता है. हालांकि बार-बार मिसकैरेज (तीन या उससे ज्यादा बार) की समस्या 100 में से एक महिला को ही झेलनी पड़ती है. बढ़ती उम्र की महिलाओं में मिसकैरेज की दिक्कत ज्यादा देखने को मिलती है. 30 साल से कम उम्र की 10 में से एक महिला का मिसकैरेज होता है. जबकि 45 साल से ज्यादा उम्र की 10 में से पांच महिलाएं इसका शिकार होती हैं.

क्या हैं मिसकैरेज के लक्षण?
ब्लीडिंग या कपड़ों पर खून के हल्के या भारी निशान मिसकैरेज का संकेत हो सकते हैं. लेकिन यह भी ध्यान रखें कि प्रेग्नेंसी के पहले तीन महीनों में ब्लीडिंग या ब्लड स्पॉट साधारण सी बात है. इसे सिर्फ मिसकैरेज समझ लेना सही नहीं है. ऐसा होने पर तुरंत डॉक्टर से संपर्क करें. इसके अलावा पेट के निचले हिस्से में दर्द या ऐंठन महसूस करना, प्राइवेट पार्ट से फ्लूड का डिस्चार्ज होना या टिशू का निकलना भी मिसकैरेज के लक्षण हैं. लंबे समय तक प्रेग्नेंसी के लक्षण महसूस ना करना भी इसका वॉर्निंग साइन हो सकता है.